किशनगढ़ किला
यह किला किशनगढ़ गाँव के नजदीक स्थित है। इसकी दूरी रामगढ़ से 92 किलोमीटर है। यह किला लगभग 1100 वर्ष पुराना माना जाता है। इसको प्रथम मुस्लिम शासक दीन खान ने बनवाया था, जो पाकिस्तान के बहावलपुर नामक शहर से आया था। उस समय इस स्थान को दीनगढ़ के नाम से जाना जाता था। दीन खान ने इस स्थान को शिकार एवं व्यापारिक यातायात केन्द्र के लिए चुना था।
600 वर्ष के बाद किशन सिंह हाकिम ने एक छोटा प्रदेश किशनगढ़ को खरीद लिया और लगभग 10 से 12 वर्ष तक यहाँ रहा । जिसका मौजूद नाम किशनगढ़ हाकिम के नाम से पड़ा। इसके बाद किशन सिंह हाकिम ने किले की देखभाल करने के लिए किले का प्रभार शक्तिमल को दे दिया, जिसने 25 वर्ष तक किले की देखभाल की । इसके बाद की देखभाल लगभग 1000 सिपाहियों द्वारा की गई। सिपाहियों के भोजन पानी की व्यवस्था, आल राउण्ड डिफेन्स और मस्जिद मुस्लिम कलाओं के निशान अन्दर की तरफ देखे गए। सन् 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बँटवारा हुआ तब से किशनगढ़ का किला भारत में है। बँटवारे के बाद GREF द्वारा इसकी मरम्मत की गई।
सन् 1952 में आर.ए.सी. की प्रथम बटालियन ने इस इलाके की देखभाल एवं सुरक्षा का कार्यभार सम्भाला। सन् 1965 के युद्ध में इस किले को पाकिस्तानी सेना ने बमवर्षा से क्षतिग्रस्त कर दिया। सन् 1968 में 04 बटालियन आर.ए.सी. सीमा सुरक्षा बल में परिवर्तित हो गयी, तबसे यह इलाका सीमा सुरक्षा बल के अधिकार में है सन् 1971 में सीमा सुरक्षा बल की 18 बटालियन (मेघदूत बटालियन) कर्नल मेघसिंह के नेतृत्व में किशनगढ़ इलाके में तैनात की गयी सन् 1971 के युद्ध में 18 बटालियन के कमाण्डोस ने पाकिस्तान के इस्लामगढ़ तक का इलाका अपने कब्जे में कर लिया था जो इतिहास में मील का पत्थर है।
मौजूदा समय किशनगढ़ गाँव एवं किला सीमा सुरक्षा बल के क्षेत्राधिकार में आता है।
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